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*बैंको के Headquarters के नाम याद रखने की*

*बैंको के Headquarters के नाम याद रखने की*
_Short Trick ...._
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*DIRECT GK GUJ & HINDI*
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*A.याद रखने के लिए यदि किसी बैंक के नाम में " Bank of India "आता है तो उसका मुख्यालय मुंबई होगा*
BANK OF INDIA “ ==> -MUMBAI
1. BANK OF INDIA ==> MUMBAI
2. Central BANK OF INDIA ==> MUMBAI
3. Industrial Development BANK OF INDIA ==> MUMBAI
4. State BANK OF INDIA ==> MUMBAI
5. Union BANK OF INDIA ==> MUMBAI
6. Reserve BANK OF INDIA ==> MUMBAI
7. Securities and Exchange BOARD OF INDIA ==> MUMBAI
8. Dena Bank - ==> MUMBAI (देना बैंक को छोड़ कर)

*B. यदि किसी बैंक के नाम में " UNITED " आता है तो उसका मुख्यालय KOLKATA होगा.*
9. UNITED Bank of India
10. UNITED Commercial Bank
11. Allahbad Bank

*C. यदि किसी बैंक के नाम में " PUNJAB MAHILA " आता है तो उसका मुख्यालय DELHI होगा.*
12. PUNJAB National Bank
13. PUNJAB & Sind Bank
14. Bharathiya MAHILA Bank
15. Oriental bank of commerce

*D. यदि किसी बैंक के नाम में " INDIAN " आता है तो उसका मुख्यालय CHENNAI होगा.*
16. INDIAN Overseas Bank
17. INDIAN Bank

*E. यदि किसी बैंक के नाम में " VIJAY or CAN " आता है तो उसका मुख्यालय BENGALURU होगा.*
18. VIJAYa Bank
19. CANara Bank

*F. व्यक्तिगत बैंक (INDIVIDUAL BANKS)*
19) ANDHRA BANK ==> HYDERABAD(CAPITAL OF ANDHRA PRADESH)
20) Bank of BARODA ==> BARODA/
VADODARA(GUJARAT)
21) Bank Of Maharashtra ==> PUNE (Maharashtra)
22) Corporation Bank ==> MANGALURU
23) Syndicate Bank ==> MANIPAL

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*DIRECT GK GUJ & HINDI*
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*भारत की प्रमुख मिसाइलों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी*

*भारत की प्रमुख मिसाइलों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी -*
*अग्नि - 1(agni - 1)*
इस मिसाइल पर वर्ष 1999 में कार्य शुरू किया गया किन्तु परीक्षण वर्ष 2002 किया गया इसे कम मारक क्षमता वाली मिसाइल से रूप में विकसित किया गया यह 700 किमी तक मार करने में संक्षम है इसे भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है
*अग्नि - II (agni - ii)*
सतह से सतह मार करने वाली अग्नि-II मिसाइल का व्हीलर आयलैण्ड से मई 2010 में सफल परीक्षण किया गया इससे पूर्व 2009 में दो बार इसका परीक्षण असफल रहा इस मिसाइल की मारक क्षमता 2000 किमी है तथा यह एक टन का पेलोड ले जाने में सक्षम है
*अग्नि- III (agni - iii)*
परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम इस मिसाइल का परीक्षण वर्ष 2006 में किया गया था जिसमें आंशिक सफलता ही मिली वर्ष 2007 और 2008 में इसका सफल परीक्षण किया गया वर्ष 2010 में व्हीलर आइलैण्ड से इसका चौथा परीक्षण किया गया 3500 किमी मारक क्षमता वाली इस मिसाइल 17 मी लम्बी है इसका व्यास 2 मी है
*अग्नि-IV (agni - iv)*
सतह से सतह पर मार करने वाली इस मिसाइल का सफल परीक्षण नवम्बर 2011 में किया गया यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है इस मिसाइल का मारक क्षमता 3 हजार किमी है तथा इसकी पेलोड क्षमता 1000 किमी है
*अग्नि - V (agni - v)*
इस अन्तर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का 15 सितम्बर 2013 को ओडिशा के व्हीलर द्वीप से सफल परीक्षण किया गया इससे पहले 19 अप्रैल 2012 को अग्नि V का पहला सफल परीक्षण किया गया था परमाणु हथियार ने जाने में सक्षम इस मिसाइल की मारक क्षमता 5000 किमी है इस प्रकार अब अमेरिका को छोड कर विश्व के सभी महाद्वीप इस मिसाइल की परिधी में अा गये हैं यह मिसाइल तीन चरणों में काम करती है तथा आखिरी चरण में 800 किमी की ऊॅचाई तक पहुॅच कर बुलैट से भी तेज स्पीड से आपने निशाने की तरफ आती है
*अग्नि - VI (agni - vi)*
यह एक अंतर माहाद्वीपीय वैलिस्टिक मिसाइल है जिसका विकास डी आर डी ओ तथा भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (Bharat Dynamics Ltd.) द्वारा किया जा रहा है इसका वजन 55-70 किलाेग्राम है और इसकी मारक क्षमता अधिकतम 10000 किमी है
*धनुष (dhanush)*
इस मिसाइल को नौसेना के लिए विकसित किया गया है यह 350 किमी की दूरी पर स्थित अपने लक्ष्य को भेद सकती है जिसका विकास डी आर डी ओ तथा भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा किया है इसकी लंबाई 10 मीटर तथा चौडाई 1 मीटर है यह 500 किलोग्राम तक के हथियार ले जाने में सक्षम है
*प्रहार (prahaar)*
सतह से सतह तक मार करने वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 150 किमी है इसकी लंबाई 7.3 मीटर व वजन 1200 किलोग्राम तथा व्यास 420 मिमी है यह मिसाइल अपने साथ 200 किलोग्राम पेलोड ले जाने में सक्षम है
*प्रथ्वी (prthvee)*
यह मिसाइल भारत ने स्वदेशी तकनीक से विकसित की है तथा सेना में शमिल किया गया है भारत के एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत पृथ्वी पूर्ण रूप से स्वदेश में निर्मित पहली मिसाइल है इस मिसाइल से 500 किलोग्राम के बम गिराये जा सकते हैं
*ब्रह्मोस (brahmos)*
यह ध्वनि की गति से भी तेज चलती सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल है यह 290 किमी तक मार करने की क्षमता रखती है तथा इसका वजन 3 टन है यह ध्वनि की गति से 2.8 गुना अधिक गति से उडान भर सकती है यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है तथा चलते- फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है
*आकाश (aakaash)*
सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल का वजन 700 किलोग्राम है यह मिसाइल 55 पेलोड ले जा सकता है इसकी गति 2.5 मॉक है यह मिसाइल एक साथ कई निशनों को भेद सकती है
*त्रिशूल (trishool)*
यह सतह से सतह आकाश में मार करने वाली त्वरित प्रतिक्रिया वाली मिसाइल है इसका प्रयोग किसी जहाज से नीचे उड रही आक्रमणकारी मिसाइलों के विरूद्ध समुद्ररोधी द्रुतगामी मीटर नाव के रूप में भी किया जा सकता है
*नाग (naag)*
डी आस डी ओ द्वारा विककित तथा "दागो और भूल जाओ" की नीति पर आधारित यह एक टैंकरोधी मिसाइल है इसका वजन 42 किग्रा तथा लंबाई 1.90 मीटर है

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“UNO” का सम्पूर्ण ज्ञान

Uno Special

Q.“UNO” का सम्पूर्ण नाम क्या है?
Ans:  United Nations Organizations (संयुक्त राष्ट्र संघ)
Q.“UNO” की स्थापना कब हुई थी?
Ans: 24 OCTOBER 1945
Q.“UNO” का मुख्यालय कहा पर स्थित है?
Ans:Manhattan, New York City
Q.“UNO” के बाकी मुख्य मुख्यालय और कहा स्तिथ है?
Ans:  Geneva, Nairobi and Vienna.
Q.“UNO” को भूमि किसने प्रदान की थी?
Ans:  “UNO” का 17 acre में 39 मंजिल का ऑफिस है( John D. Rockefeller)
Q.“UNO” का नाम किसने दिया?
Ans: “UNO” का नाम American President Franklin D.Roosevelt
Q.“UNO” कब मनाया जाता है?
Ans:  24th October
Q.“UNO” की वर्तमान देशो की संख्या है?
Ans:   द० सूडान [193 संख्या वा]
Q.“UNO” में कितने अनुछेद तथा अध्याय है?
Ans:   111 अनुछेद & 19 अध्याय है
Q.“UNO” की भाषा कितनी है ?
Ans:   “UNO” की 6 भाषा है (अंग्रेजी, अरबी, चीनी, फ्रेंच, रुसी, स्पेनिश)
Q.“UNO” सुरक्षा परिषद् की संख्या होती है?
Ans:  15 संख्या (जिसमे 5 स्थायी तथा 10 अस्थायी होते है )
Q.“UNO” के अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल होता है ?
Ans:  2 वर्ष का कार्यकाल होता है
Q.“UNO” के सुरक्षा परिषद् को क्या कहते है?
Ans: पुलिस मेन दुनिया का
Q.“UNO” का प्रथम महासचिव था?
Ans:   त्रिग्वेली
Q.“UNO” का वर्तमान सचिव कौन है?
Ans: Ban Ki-moon(दक्षिण कोरिया)
Q.“UNO” के महासचिव का कार्यकाल होता है?
Ans:  5 वर्ष का
Q.“UNO” में सर्वप्रथम हिंदी में भाषण देने वाले कौन है?
Ans:  अटल बिहारी वाजपेयी

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कौन सा देश कब आज़ाद हुआ महत्वपूर्ण जानकारी

कौन सा देश कब आज़ाद हुआ महत्वपूर्ण जानकारी
=>  भारत  ->  15 अगस्त 1947
=> पाकिस्तान  ->  14 अगस्त 1947
=> अमेरिका  ->   4 जुलाई 1776
=>  बांग्लादेश  ->  16 दिसम्बर 1971
=> अफगानिस्तान  ->  27 मई 1919
=>  इंडोनेशिया  ->  17 अगस्त 1945
=> फिनलैंड  ->  6 दिसम्बर 1917
=>  सोमालिया  ->  1 जुलाई 1960
=>  केन्या  ->  12 दिसम्बर 1963
=>  फिलीपिंस  ->  12 जून 1898
=> सूडान  ->   1 जनवरी 1956
=>  वियतनाम  ->  2 सितम्बर 1969
=>  मैक्सिको  ->   16 दिसम्बर  1810
=>  बर्मा (म्यांमार)  ->   4 जनवरी 1948
=> मलेशिया  ->   31 अगस्त 1963

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वैज्ञानिक परिभाषाएं

वैज्ञानिक परिभाषाएं

वेग (Velocity) - किसी पिंड द्वारा इकाई समय में एक निश्चित दिशा में तय की गई दूरी को उस पिंड का वेग कहते है ।

       वेग = विस्थापन/समय
यह एक सदिश राशि है । इसका S.I. मात्रक मीटर/सेकेण्ड होता है ।

तत्व (Element) - तत्व वह शुद्ध पदार्थ है जो किसी भी रासायनिक विधि दो या दो से अधिक भिन्न गुण वाले अवयवों में बांटा नही जा सकता हो ।
जैसे - सोना , चांदी , ऑक्सीजन , ऑर्गन , फ्लोरीन इत्यादि ।

अम्ल (Acid) - अम्ल वह यौगिक है जो स्वाद में खट्टा हो , क्षारक के साथ अभिक्रिया कर लवण तथा जल बनाता हो और जो नीले लिटमस को लाल कर देता है ।
जैसे - गंध का अम्ल , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल , नाइट्रिक अम्ल इत्यादि ।

लवण (Salt) - लवण वह यौगिक है जो किसी अम्ल के अणु में विद्यमान हाइड्रोजन के परमाणु या परमाणुओं के धातु या धातु सदृस तत्व समूहों द्वारा आंशिक या पूर्ण विस्थापन के फलस्वरूप बनते है ।
जैसे - सोडियम क्लोराइड , जिन्क सल्फेट , अमोनियम क्लोराइड

विलयन (Solution) - विलयन दो या दो से अधिक पदार्थो का मिश्रण होता है जिसमे विलय और विलायक की आपेक्षिक मात्राएँ एक निश्चित सीमा तक निरन्तर परिवर्तित हो सकती है ।

विलयन के प्रकार -
विलयन को तीन वर्गो में बांटा गया है ।

1. संतृप्त विलयन (Saturated Solution) - किसी निश्चित ताप पर बना वह विलयन जिसमे विलेय पदार्थ की और अधिक मात्रा न घुलायी जा सके उसे संतृप्त विलयन खा जाता है ।

2 . असंतृप्त विलयन (Unsaturated Solution) -किसी निश्चित ताप पर बना वह विलयन जिसमे विलेय पदार्थ की और अधिक मात्रा न घुलाई जा सके उसे असंतृप्त विलयन कहा जाता है ।

3. अतिसंतृप्त विलयन (Super Saturated Solution) - किसी निश्चित ताप और दाब बना वह संतृप्त विलयन जिसमे विलेय की मात्रा विलयन को संतृप्त करने से और अधिक घुली हो , अतिसंतृप्त विलयन कहा जाता है ।

क्षारक (Base) - क्षारक धातुओं या धातुओं के सदृश तत्व समूहो से बने वे यौगिक है जो अम्ल से अभिक्रिया कर लवण तथा जल बनाता है ।
जैसे - सोडियम हाइड्राक्साइड , मैग्नेशियम ऑक्साइड , पोटैशियम हाइड्राक्साइड इत्यादि ।

चाल (Speed) - किसी पिंड द्वारा इकाई समय तय की गई दूरि को उस पिंड का चाल कहते है ।
         चाल = दूरि/समय
 

यौगिक (Compound) - यौगिक वह शुद्ध पदार्थ है जो दो या दो से अधिक तत्वों को एक निश्चित अनुपात में मिलाने पर रासायनिक संयोग के फलस्वरूप बनता है ।
जैसे - जल , सोडियम क्लोराइड , कैल्सियम कार्बोनेट इत्यादि ।

द्रव्य (Matter) - द्रव्य वह है जो स्थान घेरती है , जिसमे कुछ भार हो जिसकी अनुभूति हम अपने ज्ञानेन्द्रियों द्वारा करते है ।
जैसे - हवा , पानी , पत्थर इत्यादि ।

अणु (Molecule) - किसी तत्व व यौगिक का वह सूक्ष्मतम कण जो स्वतन्त्र अवस्था में रहता हो और जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग न लेता हो , अणु कहलाता है ।

परमाणु (Atom) - तत्व का वह सूक्ष्मतम कण जो स्वतन्त्र अवस्था न रहता हो और रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता हो , परमाणु कहलाता है ।

त्वरण (Acceleration) - किसी पिंड के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण कहते है ।

      त्वरण = वेग में परिवर्तन /समय
त्वरण एक सदिश राशि है ।

गति (Motion) - स्थिर वस्तु की अपेक्षा किसी पिंड के समय के साथ स्थान परिवर्तन को गति कहते है ।

विराम (Rest) - स्थिर वस्तु की तुलना में समय के साथ यदि किसी पिंड के स्थान में परिवर्तन न हो तो उसे विराम अवस्था कहते है ।

गति के प्रकार  (Types of Motion) - गति मुख्यतः पांच प्रकार के होते है ।

1. रैखिक गति (Linear Motion) - ऐसी जिसमे वस्तु सदा सरल रेखा या वक्र रेखा पर चलती हो , रैखिक गति कहलाती है ।
जैस - कमान से निकले तीर की गति , ऊपर से गिरती हुई पिंड की गति ।

2 . यादृच्छिक गति (Random Motion) - ऐसी गति जिसमे वस्तु का गतिपथ निश्चित नही होता है , अर्थात अपनी दिशा सदैव बदलती रहती है , यादृच्छिक गति कहलाती है । 
जैसे - पक्षियों की गति , बर्तन में रखे गैस के अणुओं की गति ।

3 . वृत्तीय गति (Circular Motion) - ऐसी गति जिसमे वस्तु सदैव वृत्ताकार पथ चलती रहती है वृत्तीय गति कहलाती है ।
जैसे - पृथ्वी के चारो ओर चन्द्रमा की गति । नाभिक के चारो जोर इलेक्ट्रान की गति ।

4 . दोलन गति (Oscillatory Motion) - ऐसी गति जिसमे वस्तु मध्य स्थिति के गिर्द दोलन करती । दोलन गति कहलाती है ।
जैसे - लोलक की गति , झूले की गति ।

5 . आवर्त गति (Periodic Motion) - ऐसी गति जिसमे वस्तु अपनी गतिपथ को एक निश्चित समय अंतराल के बाद दुहराती है ,आवर्त गति कहलाती है ।
जैसे - सूर्य के चारो ओर पृथ्वी की गति , पृथ्वी के चारो ओर चन्द्रमा की गति ।

कार्य (Work) - जब किसी पिंड पर कोई बल इस प्रकार लगे की पिंड में गति उत्पन्न हो तो उसे कार्य कहा जाता है ।
   कार्य = बल×विस्थापन

शक्ति (Power) - कार्य करने की समय के दर को शक्ति कहते हैं ।
        शक्ति = कार्य/समय

ऊर्जा (Energy) - कार्य करने की झमता को ऊर्जा कहते है ।

दाब (Pressure) - किसी सतह के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को दाब कहा जाता है । 
    दाब = बल/क्षेत्रफल

तरंग (Wave) - इलेक्ट्रानो का एक बिंदु से दूसरे तक स्थानांतरण तरंग कहलाता है ।

तरंगदैर्ध्य् (Wave length) - दो अनुक्रमिकश्रृंग अथवा गर्त के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य् कहते है ।
तरंग का वेग = आवृत्ति×ट्रंगदैर्ध्य्

संवेग (Momentum) - किसी गतिमान पिंड के द्रव्यमान और वेग के गुणनफल को उस पिंड का संवेग कहते है ।
       संवेग = द्रव्यमान×वेग

आवेग (Impulse) - यदि कोई बल किसी वस्तु पर अल्प समय तक कार्य करता है , तो बल और समय के गुणनफल को उस वस्तु का आवेग कहा जाता है ।
    आवेग = बल×समय

बल आघूर्ण (Torque) - किसी बाहरी बल की वह प्रवृत्ति जो किसी पिंड को किसी अक्ष के परितः घुमाने का प्रयास करता है ,बल आघूर्ण कहलाता है। 
     बल आघूर्ण = बल×बलबाहु

आयाम (Amplitude) - किसी कम्पमानित कण के माध्य बिंदु से महत्तम विस्थापन को आयाम कहते है ।

आवर्तकाल (Time Period) -कम्पमानित कण द्वारा एक दोलन पूरा करने में लगे समय को आवर्तकाल कहते है ।

आवृत्ति (Frequency) - एक सेकेण्ड में कम्पमानित कण द्वारा किये गए पूर्ण दोलनों की संख्या को उस कण की आवृत्ति कहते है ।
            आवृत्ति = 1/आवर्तकाल

अनुप्रस्थ तरंग (Transverse wave) - जब माध्यम के कण तरंग गमन की दिशा के लम्बवत दोलन करते है तब ऐसे तरंग को अनुप्रस्थ तरंग कहते है ।

श्रब्यता सीमा (Limit of audibility) - मनुष्य 20Hz से 20000Hz के बीच की ध्वनि तरंग को सुन सकता है।

अवश्रव्य तरंग (Infrasonic waves) - 20 Hz से नीचे की ध्वनि तरंग को अवश्रव्य तरंग कहते है ।

पराश्रव्य तरंग ( Ultrasonic waves) - 20000 Hz से ऊपर की ध्वनि तरंग को पराश्रव्य तरंग कहते है ।

प्रतिध्वनि (Echo) - किसी विस्तृत स्रोत से टकराकर ध्वनि के पुनः सुने जाने को प्रतिध्वनि कहते है ।

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*महत्वपूर्ण शोध संस्थान*

♦महत्वपूर्ण शोध संस्थान♦
💠प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान
✅गाँधीनगर
💠भारतीय रासायनिक जैविक संस्थान
✅कोलकाता
💠केन्द्रीय काँच तथा मृतिका अनुसंधान संस्थान
✅कोलकाता
💠भारतीय मौसम वेधशाला
✅पुणे
💠राष्ट्रीय समुद्री विज्ञान संस्थान
✅पणजी
💠केन्द्रीय तम्बाकू शोध संस्थान
✅राजमुंदरी
💠केन्द्रीय लीची अनुसन्धान केंद्र
✅मुजफ्फरपुर
💠राष्ट्रीय धातु विज्ञान प्रयोगशाला
✅जमशेदपुर
💠कोशकीय तथा आणविक जीवविज्ञान केंद्र
✅हैदराबाद
💠केन्द्रीय यांत्रिक इंजीनियरिंग अनुसन्धान संस्थान
✅दुर्गापुर
💠केन्द्रीय चावल अनुसंधान संस्थान
✅कटक
💠केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान
✅शिमला
💠केन्द्रीय भवन निर्माण अनुसंधान संस्थान
✅रुड़की
💠केन्द्रीय वन अनुसंधान संस्थान
✅देहरादून
💠औद्योगिक विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
✅लखनऊ
💠केंद्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान
✅लखनऊ
💠भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान
✅नई दिल्ली
💠भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान
✅नई दिल्ली
💠भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण
✅नई दिल्ली
💠केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान
✅नई दिल्ली
💠अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
✅नई दिल्ली
💠केंद्रीय गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान
✅कोयम्बटूर
💠भारतीय चीनी तकनीकी संस्थान
✅कानपुर
💠केंद्रीय नारियल अनुसंधान संस्थान
✅काशरगोड
💠भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र
✅ट्राम्बे
💠भारतीय खगोल संस्थान
✅बंगलुरु
💠राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान
✅करनाल
💠राष्ट्रीय भू भौतिकी अनुसंधान संस्थान
✅हैदराबाद
💠भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग
✅कोलकाता
💠केंद्रीय जूट प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान
✅कोलकाता
💠डीजल लोकोमोटिव वर्क्स
✅वाराणसी
💠भारतीय भू - चुम्बकीय संस्थान
✅मुंबई
💠केंद्रीय खनन अनुसंधान संस्थान
✅धनबाद
💠केंद्रीय ईधन अनुसंधान संस्थान
✅झरसुगोड़ा
💠भारतीय लौह अनुसंधान संस्थान
✅रांची
💠केंद्रीय नमक और समुद्री रासायन अनुसंधान संस्थान
✅भावनगर
💠केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान
✅मैसूर
💠कपड़ा उद्योग अनुसंधान संस्थान
✅अहमदाबाद
💠केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान
✅चेन्नई
💠उच्च अक्षांश अनुसंधान प्रयोगशाला
✅ गुलमर्ग
💠 केंद्रीय शाक-भाजी प्रजनन केंद्र
✅ कुल्लू
💠 सेन्टर फॉर DNA फिंगर प्रिँटिँग एण्ड डायग्नोस्टिक्स
✅ हैदराबाद
💠 केंद्रीय फसल शोध संस्थान
✅ त्रिवेंद्रम
💠 केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान
✅ नागपुर
💠केंद्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान
✅ नागपुर
💠 भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान
✅ बंगलूरू
💠 राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान केंद्र
✅ इंदौर
💠 केन्द्रीय चारा बीज उत्पादन फार्म
✅कर्नाटक में हैसरघट्टा

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*​✧ जानें आरबीआई के अबतक के सभी गवर्नर को...*

*​✧ जानें आरबीआई के अबतक के सभी गवर्नर को...*
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के चीफ के रूप में उर्जित पटेल ने पद संभाल लिया। रघुराम राजन के बाद उर्जित पटेल इस बैंक के 24वें गवर्नर होंगे। 1935 में स्थापित इस प्रमुख बैंक में अबतक 23 गवर्नर बन चुके हैं। आइए जानते हैं कि उर्जित पटेल से पहले किस-किस ने और कब आरबीआई की कमान संभाली थी-
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*आरबीआई‬ के गवर्नर : कब-कब कौन रहा पद पर*
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*1. सर ऑस्बॉर्न -* 1 अप्रैल 1935 से 30 जून 1937

*2. सर जेम्स बैर्ड टेलर -* 1 जुलाई 1937 से 17 फरवरी 1943

*3. सर सीडी देशमुख -* 11 अगस्त 1943 से 30 जून 1949

*4. सर बेनेगल रामा राव -* 1 जुलाई 1949 से 14 जनवरी 1957

*5. केजी अंबेगांवकर -* 14 जनवरी 1957 से 28 जनवरी 1957

*6. एचवीआर इंगर -* 1 मार्च 1957 से 28 फरवरी 1962

*7. पीसी भट्टाचार्य -* 1 मार्च 1962 से 30 जून 1967

*8. एलके झा -* 1 जुलाई 1967 से 3 मई 1970

*9. बीएन अधारकर -* 4 मई 1970 से 15 जून 1970

*10. एस जगन्नाथन -* 16 जून 1970 से 19 मई 1975

*11. एनसी सेन गुप्ता -* 19 मई 1975 से 19 अगस्त 1975

*12. केआर पुरी -* 20 अगस्त 1975 से 2 मई 1977

*13. एम नरसिम्हा -* 3 मई 1977 से 30 नवंबर 1977

*14. डॉ. आईजी पटेल -* 1 दिसंबर 1977 से 15 सितंबर 1982

*15. डॉ. मनमोहन सिंह -* 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985

*16. ए घोष -* 15 जनवरी 1985 से 4 फरवरी 1985

*17. आनएन मलहौत्रा -* 4 फरवरी 1985 से 22 दिसंबर 1990

*18. एस वेंकटरमन -* 22 दिसंबर 1990 से 21 दिसंबर 1992

*19. सी. रंगराजन -* 22 दिसंबर 1992 से 21 नवंबर 1997

*20. डॉ. बिमल जलान -* 22 नवंबर 1997 से 6 सितंबर 2003

*21. डॉ. वाई वी रेड्डी -* 6 सितंबर 2003 से 5 सितंबर 2008

*22. डी. सुब्बाराव -* 5 सितंबर 2008 से 4 सितंबर 2013

*23. रघुराम राजन -* 5 सितंबर 2013 से 4 सितंबर 2016

*24. उर्जित पटेल -* 4 सितंबर 2016 से पदधारी

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*भारत के प्रमुख नगरों के संस्थापक*

भारत के प्रमुख नगरों के संस्थापक
1. कोलकाता - जॉब चारनाक
2. मुंबई - ओनाल्ड ऑग्जिअर
3. भोपाल - राजा भोज
4. नई दिल्ली - एडविन लुट्यन्स
5. आगरा - सिकंदर लोदी
6. इंदौर - अहिल्या बाई
7. धार - राजा भोज
8. तुगलकाबाद - मोहम्मद तुगलक
9. जयपुर - सवाई राजा जयसिंह
10. सागर {MP }- उदालशाय
11. लखनऊ - आसफ़ुद्दौला
12.इलाहाबाद - अकबर
13. झाँसी -वीरसिंह जूदेव
14. अजमेर - अजयराज सिंह
15. उदयपुर - राणा उदय सिंह
16. टाटानगर - जमशेदजी टाटा
17. भरतपुर - राजा सूरजमल
18. कुम्भलगढ़ - राजा कुम्भा
19. पटना - उदयन
20. मुंगेर - चन्द्रगुप्त मौर्य
21. नालंदा - राजा धर्मपाल
22. रायपुर - ब्रम्हदेव
23. दुर्ग - जगतपाल
24. देहरादून - राजा जौनसार बाबर
25. पुरी - गंग चोल
26. द्वारका - शंकराचार्य
27. जम्मू - राजा जम्मू लोचन
28. पूना - शाह जी भोसले
29. हैदराबाद - कुली क़ुतुब शाह
30. अमृतसर - गुरु रामदास
31. दिल्ली - अन्नंतपाल तोमर
32. पांडिचेरी - फ्रांसिस केरी
33. श्रीगंगानगर - गंगासिंह
34. बीकानेर - राव जोधा के 5वें पुत्र
राव बिका
35. चुरू - चूहड़ा जाट
36. झुंझुनू - झुन्झ जाट
37. जैसलमेर - भाटी राजपूत जैसलसिंह
38. जोधपुर - राव जोधा
39. सीकरसूरतसिंहतसिंह
40. अलवर - राव प्रताप सिंह कछवाहा
41. बाड़मेर - बाग भट्ट
42. धौलपुर - तोमरवंश के राजा धवलदेव
43. करौली - यदुवंशी राजा अर्जुनपाल
44. टोंक - अमीर खान पिंडारी
45. बूंदी - राव देशराज
46. बारां - सोलंकी राजपूत
47. कोटा - महाराव माधोसिंह
48. झालावाड़ - झाला जालिमसिंह
49. चित्तोड़गढ़ - चित्रांगद मोर्य
50. प्रतापगढ़ - महारावल प्रतापसिंह
51. बाँसवाड़ा - जगमाल सिंह
52. डूंगरपुर - डूंगरसिंह
53. सिरोही - सहसमल
54. राजसमन्द - महाराणा राजसिंह
55. मण्डोर - हरिश्चन्द्र प्रतिहार
56. सवाई माधोपुर - सवाई माधोसिंह
57. हनुमानगढ़ - महाराजा सूरतसिंह

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*विटामिन संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य*

*विटामिन संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य:-*
*√विटामिन - 'A'*
√रासायनिक नाम : रेटिनाॅल
√कमी से रोग: रतौंधी
√स्रोत (Source): गाजर, दूध, फल.
*√विटामिन - 'B1'*
√रासायनिक नाम: थायमिन
√कमी से रोग: बेरी-बेरी
√स्त्रोत (Source): मुंगफली, आलू, सब्जीयाँ
*√विटामिन - 'B2'*
√रासायनिक नाम: राइबोफ्लेबिन
√कमी से रोग: त्वचा फटना, आँख का रोग
√स्रोत (Source): दूध, हरी सब्जियाँ
*√विटामिन - 'B3'*
रासायनिक नाम: पैण्टोथेनिक अम्ल
√कमी से रोग: पैरों में जलन, बाल सफेद
√स्रोत (Source): दूध, टमाटर, मूंगफली
*√विटामिन - 'B5'*
√रासायनिक नाम: निकोटिनेमाइड (नियासिन)
√कमी से रोग: मासिक विकार (पेलाग्रा)
√स्रोत (Source): मूंगफली, आलू
*√विटामिन - 'B6'*
√रासायनिक नाम: पाइरीडाॅक्सिन
√कमी से रोग: एनीमिया, त्वचा रोग
√स्रोत (Source): दूध, सब्जी
*√विटामिन - 'H / B7'*
√रासायनिक नाम: बायोटिन
√कमी से रोग: बालों का गिरना , चर्म रोग
√स्रोत (Source): गेहूँ,
*√विटामिन - 'B12'*
√रासायनिक नाम: सायनोकोबालमिन
√कमी से रोग: एनीमिया, पाण्डू रोग
√स्रोत (Source): कजेली, दूध
*√विटामिन - 'C'*
√रासायनिक नाम: एस्कार्बिक एसिड
√कमी से रोग: स्कर्वी, मसूड़ों का फुलना
√स्रोत (Source): आँवला, नींबू, संतरा, नारंगी
*√विटामिन - 'D'*
√रासायनिक नाम: कैल्सिफेराॅल
√कमी से रोग: रिकेट्स
√स्रोत (Source): सूर्य का प्रकाश, दूध,
*√विटामिन - 'E'*
√रासायनिक नाम: टेकोफेराॅल
√कमी से रोग: जनन शक्ति का कम होना
√स्रोत (Source): हरी सब्जी, मक्खन, दूध
*√विटामिन - 'K'*
√रासायनिक नाम: फिलोक्वीनाॅन
√कमी से रोग: रक्त का थक्का न बनना
√स्रोत (Source): टमाटर, हरी सब्जियाँ, दूध
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*थार्नडाइक का प्रयोग*

🌊    *शिक्षा  मनोविज्ञान*  📚

🌊 *Gγαη Sαgαr* 🌊

🌀 *थार्नडाइक का प्रयोग*📚

🗣🌊🌀 थार्नडाइक ने अपना प्रयोग भूखी बिल्ली पर किया। बिल्ली को कुछ समय तक भूखा रखने के बाद एक पिंजरे(बॉक्स) में बन्ध कर दिया। जिसे  "पज़ल बॉक्स"(Pazzle Box) कहते हैं। पिंजरे के बाहर भोजन के रूप में थार्नडाइक ने मछली का टुकड़ा रख दिया। पिंजरे के अन्दर एक लिवर(बटन) लगा हुआ था जिसे दबाने से पिंजरे का दरवाज़ा खुल जाता था। भूखी बिल्ली ने भोजन (मछली का टुकड़ा) को प्राप्त करने  व  पिंजरे से बाहर निकलने के लिए अनेक त्रुटिपूर्ण प्रयास किए। बिल्ली के लिए भोजन   उद्दीपक का  काम कर  रहा था ओर उद्दीपक के कारण बिल्ली प्रतिक्रिया कर रही थी।उसने अनेक प्रकार  से बाहर निकलने  का प्रयत्न  किया।एक बार संयोग से उसके पंजे से लिवर दब गया। लिवर दबने से पिंजरे  का दरवाज़ा खुल गया ओर भूखी बिल्ली ने पिंजरे से बाहर निकलकर भोजन को खाकर अपनी  भूख को शान्त किया। थार्नडाइक ने इस प्रयोग को बार- बार  दोहराया। तथा देखा कि प्रत्येक बार बिल्ली को बाहर  निकलने में पिछली बार से कम समय  लगा ओर  कुछ समय बाद बिल्ली बिना किसी भी प्रकार की भूल  के एक ही प्रयास में पिंजरे का दरवाज़ा  खोलना सीख गई। इस प्रकार उद्दीपक ओर अनुक्रिया में  सम्बन्ध स्थापित हो गया।

🌊🌍 *थार्नडाइक के नियम :-*💥

🗣 *मुख्य नियम :-*

📚🌍 *तत्परता का नियम :-* 

🗣यह नियम कार्य करने से पूर्व तत्पर या तैयार किए जाने पर बल देता है। यदि हम किसी कार्य को सीखने के लिए तत्पर या तैयार होता है, तो उसे शीघ्र ही सीख लेता है। तत्परता में कार्य करने की इच्छा निहित होती है। ध्यान केंद्रित करने मेँ भी तत्परता सहायता करती है।

📚🌍 *अभ्यास का नियम :-* 

🗣यह नियम किसी कार्य या सीखी गई विषय वस्तु के बार-बार अभ्यास करने पर बल देता है। यदि हम किसी कार्य का अभ्यास करते रहते है, तो उसे सरलतापूर्वक करना सीख जाते है। यदि हम सीखे हुए कार्य का अभ्यास नही करते है, तो उसको भूल जाते है।

📚🌍 * प्रभाव (परिणाम) का नियम :-*

🗣इस नियम को सन्तोष तथा असन्तोष का नियम भी कहते है। इस नियम के अनुसार जिस कार्य को करने से प्राणी को सुख व सन्तोष मिलता है, उस कार्य को वह बार-बार करना चाहता है और इसके विपरीत जिस कार्य को करने से दुःख या असन्तोष मिलता है, उस कार्य को वह दोबारा नही करना चाहता है।

🌍 *गौंण नियम*🌍

🌊🌀 *बहु-प्रतिक्रिया का नियम :-* 

🗣इस नियम के अनुसार जब प्राणी के सामने कोई परिस्थिति या समस्या उत्पन्न हो जाती है तो उसका समाधान करने के लिए वह अनेक प्रकार की प्रतिक्रियाएं करता है,और इन प्रतिक्रियाएं को करने का क्रम तब तक जारी रहता है जब तक कि सही प्रतिक्रिया द्वारा समस्या का समाधान या हल प्राप्त नहीं हो जाता है। प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत इसी नियम पर आधारित हैं।

🌊🌀 *मनोवृत्ति का नियम :-* 

🗣इस नियम को मानसिक विन्यास का नियम भी कहते है। इस नियम के अनुसार जिस कार्य के प्रति हमारी जैसी अभिवृति या मनोवृति होती है, उसी अनुपात में हम उसको सीखते हैं। यदि हम मानसिक रूप से किसी कार्य को करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो या तो हम उसे करने में असफल होते हैं, या अनेक त्रुटियाँ करते हैं या बहुत विलम्ब से करते हैं।

🌊🌀 *आंशिक क्रिया का नियम :-*

🗣 इस नियम के अनुसार किसी कार्य को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करने से कार्य सरल और सुविधानक बन जाता है। इन भागों को शीघ्रता और सुगमता से करके सम्पूर्ण कार्य को पूरा किया जाता है। इस नियम पर 'अंश से पूर्ण की ओर' का शिक्षण का सिद्धांत आधारित किया जाता है।

🌊🌀 *सादृश्यता अनुक्रिया का नियम :-*

🗣इस नियम को आत्मीकरण का नियम भी कहते है। यह नियम पूर्व अनुभव पर आधारित है। जब प्राणी के सामने कोई नवीन परिस्थिति या समस्या उत्पन्न होती है तो वह उससे मिलती-जुलती परिस्थिति या समस्या का स्मरण करता है, जिसका वह पूर्व में अनुभव कर चुका है। वह नवीन ज्ञान को अपने पर्व ज्ञान का स्थायी अंग बना लेते हैं।

🌊🌀 *साहचर्य परिवर्तन का नियम :-*

🗣इस नियम के अनुसार एक उद्दीपक के प्रति होने वाली अनुक्रिया बाद में किसी दूसरे उद्दीपक से भी होने लगती है। दूसरे शब्दों में, पहले कभी की गई क्रिया को उसी के समान दूसरी परिस्थिति  में उसी प्रकार से करना । इसमें क्रिया का स्वरूप तो वही रहता है, परन्तु परिस्थिति में परिवर्तन हो जाता है।थार्नडाइक ने पावलव के शास्त्रीय अनुबन्धन को ही साहचर्य परिवर्तन के नियम के रूप में व्यक्त किया।
 

🌊 *```Gγαη Sαgαr```* 🌊

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